शायद अजीब है लेकिन सत्य है कि बेरोज़गारी देश मे बहुत ज़रूरी है. जब एक ग्रॅजुयेट बेरोज़गार होगा तो वो प्राइवेट वाहन का चालक बन सकता है और इसका फ़ायदा यह होगा कि वो दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करेगा. अब हो सकता है कि वह कुंठा कि वजह से अच्छा व्यवहार ना करे लेकिन जिसकी शिक्षा मे किसी प्रकार का खोट ना हो वह कुंठा से पीड़ित हो ही नही सकता .अब बेरोज़गारी कि वजह से हो सकता है कि लोग खेती-बाड़ी मे दिलचस्पी लेने लगे और हमारे देश मे आधुनिक तरह से खेती होने लगे .अब नौकरी मिलेगी भी तो काम कम और चमचागिरी ज़्यादा रहेगी तो अच्छा है न कि बेरोज़गारी बढ़ती जाए और एक बात हमेशा याद रखने वाली बात है कि कृषि मे कभी भी बेरोज़गारी नही हो सकती. जब शिक्षित व्यक्ति ज़मीन पर आएँगे तो समाज को बदलना ही होगा तो हो सकता है कि हम भी नीयम-क़ानून का पालन करना सीख जाएँ . हो सकता है कि कुछ लोग यह सोचने लगे कि पढ़ाई-लिखाई का क्या फ़ायडा अगर बेरोज़गार ही बनना है तो लेकिन हमे सोचना चाहिए अगर हिन्दुस्तान को अमेरिका बनाना है तो अँग्रेज़ी तो सीखनी ही पड़ेगी .
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